सुन्दरकाण्ड

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श्रीमद्‌गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा विरचित, 'श्रीरामचरितमानस' के पाँचवें सोपन, जिसमें श्री हनुमान जी की लीला प्रमुखता से वर्णित है, की अद्भुत व प्रमाणित कथाओं से युक्त यह ग्रंथ श्री हनुमान जी का स्तुति ग्रंथ है।जैसे 'मानस के सुंदरकांड' का अध्ययन सर्व कल्याण और सर्व मनोकामना की पूर्ति में सहायक है वैसे ही 'श्री मानस मधुकर द्वारा विरचित इस ग्रंथ में सुंदरकांड के अनछुए, अबूझे पहलुओं के साथ-साथ सुन्दरकाण्ड सुन्दर क्यों है इस पर वृहद सजीव व्याख्या अनेकानेक छंदो,पद्यों के साथ-साथ श्री मधुकर जी ने किया है।यह ग्रंथ सभी प्रकार के मंगल की खान है और श्री हनुमान जी की सहज ही कृपा भक्त को प्रदान करता है। संपूर्ण ग्रंथ 520 पृष्ठों में रचित हैं तथा ग्रंथ दो खण्डो 'सुयशखण्ड' व 'उपासना खण्ड' में लिखा गया है। प्रथम खण्ड में श्री हनुमान जी के संदर्भ में तमाम आश्चर्यजनक प्रमाणित और रोचक रहस्यमयी कथाएं है और दूसरे खंड उपासना में श्री हनुमान जी के सिद्ध मंत्र और उपासना विधि आदि को संग्रहित कर भक्तों के लिए प्रस्तृत किया गया है यह ग्रंथ स्वयं सिद्ध भगवान श्री हनुमान जी की प्रत्यक्ष कृपा है। इसकी उपस्थिति मात्र व्यक्ति, घर परिवार, मित्र आदि के लिए परम कल्याणकारी और मंगलमय है।