हनुमान चालीसा

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श्रीराम भक्त हनुमानजी की अपार भक्ति, शक्ति और सेवा भाव का समग्र सार लिए हुए ‘हनुमान चालीसा’ एक अद्भुत और चमत्कारी स्तुतिग्रंथ है,
जो अनादि काल से श्रद्धालु जनों के हृदय में आस्था, साहस, और संकट-नाश की अमिट ज्योति प्रज्वलित करता रहा है।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित यह चालीसा स्वयं श्रीरामकथा की परम गूढ़ताओं को सरल, मधुर एवं सशक्त रूप में प्रकट करती है।

"भूत पिशाच निकट नहिं आवै
महावीर जब नाम सुनावै"

जैसी चौपाइयों से यह ग्रंथ संकटों, कष्टों और भय से ग्रस्त जीवन को निर्भयता, पराक्रम और ईश्वर-भक्ति की ओर प्रवृत्त करता है।
हनुमानजी की वाणी, विनय, बल, बुद्धि, विद्या और निःस्वार्थ सेवा का ऐसा जीवंत चित्रण इस चालीसा में निहित है,
जिसे पढ़ते ही साधक के अंतःकरण में ऊर्जा की तरंगें उत्पन्न हो जाती हैं।

हनुमान चालीसा न केवल एक स्तुति है, बल्कि यह एक तप है, एक साधना है, और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय की कुंजी है।
यह ग्रंथ भक्त को यह विश्वास देता है कि यदि उसके जीवन में अचल श्रद्धा, सच्चा संकल्प और श्रीहनुमानजी का स्मरण है,
तो वह किसी भी विघ्न, भय या विफलता से डरने की आवश्यकता नहीं रखता।

इस चालीसा का नित्य पाठ — विशेषकर मंगलवार, शनिवार या संकट के समय — साधक को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक बल प्रदान करता है।
यह ग्रंथ श्रद्धा, समर्पण और विश्वास का अमूल्य रत्न है, जिसे हर भक्त को जीवन में अपनाना चाहिए।

हनुमान चालीसा न केवल संकटमोचन की गाथा है,
अपितु यह आत्मबल, ब्रह्मचर्य, सेवा और निर्भयता का दिव्य संदेश भी है — जो प्रत्येक युग में प्रासंगिक रहा है और रहेगा।